देने में क्या खुशी मिलती हैं?

“हमेशा मैं ही क्यूँ पहला बनूँ? मुझे लगता है कि लोग कई बार जब मुझे उनकी जरूरत होती है तब मेरी मदद नहीं करते “, मैंने अपने दादा से पूछा।

“मैंने आपको बचपन से देखा है; आप तहेदिल से समाज के लिए काम कर रहे हैं; ऐसी क्या बात है जो आपको उत्साहित रखती हैं?” मैंने उनसे आगे पूछा।

“हर कोई जो यह सोचता है कि मैं क्यूँ पहले आगे बढ़ने जाऊँ, वह दुनिया का एक महत्त्वपूर्ण नियम भूल जाता है I यही की हमने बदले में कुछ दिए बिना कुछ भी नहीं लेना चाहिए । क्या तुम्हें अपनी दादी याद है और अब तुम्हारी मां भी इस बात का पालन करती हैं? वे अपने घर से कुछ दिए बिना पड़ोसियों या अन्य रिश्तेदारों से मिले टिफिन या बॉक्स को कभी वापस नहीं करते । यही बात हर जगह लागू होती है। पहले दूसरों की मदद करने से घबराएं नहीं, और तुरंत उस बदले में कुछ पाने की उम्मीदें न रखें। आपको अपने सही कर्मों का फल जरूर मिलेगा।” मेरे दादा ने कहा।

इस बातचीत ने दूसरों को उनकी जरूरत में मदद करने के प्रति मेरा नजरिया साफ कर दिया।

आप जो प्राप्त करना चाहते हैं उसका प्रतिबिंब बनें। प्यार चाहते हो तो प्यार दो। सत्य चाहते हो तो सच्चे बनो। सम्मान चाहिए तो सम्मान दो। जो आप दोगे, वही आपको वापस मिलेगा।

क्रिस्टन बटलर

देने में एक खुशी है । समाज के एक सदस्य के रूप में हमें यह समझना चाहिए कि देने से हमारे स्वाभिमान में सुधार होता है और हमारा मन खुशियो से भर जाता हैं।

हम अक्सर भूल जाते हैं कि देना हमेशा कोई महंगी चीज नहीं होती। किसी ऐसे व्यक्ति को उसके जरूरत में थोड़ा सा वक़्त देना या संघर्ष कर रहे किसी व्यक्ति को आशा की किरण दिखाना, किसी की मुस्कान का कारण बन जाना, या करुणा के साथ देखभाल करने का कार्य भी आपको देने की खुशी दे सकता है।

यह एक ऐसी खुशी है कि जो आप से कोई भी छीन नहीं सकता।

हाल ही में, मेरे दोस्त और मैं सड़क के किनारे एक दुकान से खाने के लिए गए थे । अक्सर इस दुकान में जो प्रकाश के दिये रहते थे, उस दिन, दुर्भाग्य से, काम करना बंद कर दिये। अब उसके खाद्य वाहन की और सड़क के माध्यम से चलने वाले लोगों द्वारा किसी का ध्यान नहीं जा रहा था। अब मेरे दोस्त को जगह के बारे में पता था, तो हम वहा गये और उन्हें बताया कि हमे क्या चाहिए और हम वह आने तक इंतजार कर रहे थे ।

एक जवान लड़का इस जगह पर आया और दुकान वाले से उसने पूछा कि आज उसके साथ क्या हुआ है? कम रोशनी क्यों? उन्होंने कहा, “आज यह दिये काम करना बंद कर दिए और मैं जाकर इसकी मरम्मत भी नहीं करवा सकता। इसकी वज़ह से आज मेरा काफी नुकसान हो रहा है।” उस लड़के ने तुरंत उसे यह कहते हुए मदद की पेशकश की, “भाई, मैं आज खाली हूं, मैं यह ठीक करके लाता हूँ।” मेरे दोस्त और मैं उस युवा लड़के के इस कृत्य से चकित थे।

इस समाज को मनोहारी रूप में देखने के लिए हमें ऐसे और युवा पीढ़ी की जरूरत है !!!

मेरे प्यारे दोस्तों, चलो किसी भी संभव तरीके से बदले में आप क्या प्राप्त कर सकते है इसकी उम्मीद के बिना आप मदद देने के लिए नहीं भूलना चाहिए। चलो एक साथ एक सुंदर समाज का निर्माण करते हैं।

देने की इस खुशी को पाते है।

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दैनन्दिनी