आइए सही साबित होने से बेहतर होने पर ध्यान केंद्रित करें!!

“केवल सही होने के लिए मत लड़ो; सुनिश्चित करें कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं। आप निश्चित रूप से बेहतर स्कोर करेंगे,” मेरे पिता ने कहा।

मैं बचपन से ही एक ऐसी घटना बता रहा हूं जिसे मैं आज भी याद रखता हूं और जीवन में पालन करने की कोशिश करता हूं।

मैंने परीक्षा में उम्मीद से एक अंक कम बनाए और किसी तरह मुझे लगा कि मैं सही हूं । मुझे वह अंक मिलना चाहिए और शिक्षक से पूछना चाहिए कि उन्होंने हमे अंक क्यूँ कम दिए। तो, मैंने मेरे पिता से कहा कि मैं मार्क के लिए बात करूंगा। तब मेरे पिता ने मुझसे यह बात कही।

उन्होंने आगे कहा कि हर बार मै सही होने के लिए लड़ने चला गया तो मैं अपने सुधार की संभावना खोदूंगा, और यह मुझे बेहतर बनने से रोकेगा।

आज जब मुझे यह घटना याद आयी तो मुझे लगता है कि वह इतने सही है।

जब हम लड़ते हैं कि हम सही हैं तो हम अपने पराक्रमी अहंकार की रक्षा कर इसे साबित करने की कोशिश करते हैं। हमें लगता है कि हम गलत नहीं हो सकते; हमें केवल सही होना चाहिए । इसी रवैये से हम लड़ते चले जाते हैं।

अब, हम सही हो सकते हैं, या हम गलत हो सकते हैं । लेकिन सही साबित करने की खामी यह है कि, हम साबित करने पर अपनी ऊर्जा बर्बाद करना शुरू करते हैं । यहां, हम हमेशा सही होने के और अपना ध्यान देते है ना की अपने प्रयासों से हमारा सर्वश्रेष्ठ बाहर लाने में।

यह सही नहीं है।

यह हम में से ज्यादातर लोगों के साथ होता है क्योंकि हम हमेशा अपने मन में कुछ रखते हुए चीजें करते हैं, जैसे मान्यताएं, सूचना आदि। हमें लगता है कि हम हमेशा सही हैं क्योंकि हमने सभी चीजों पर विचार किया है।

हम एक स्टैंड लेते हैं कि अगर सही नहीं है, तो मैं गलत हो जाऊंगा, और मैं गलत नहीं हो सकता।

लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह समझना है कि हम गलत हो सकते हैं, और संभावना है कि हमें सुधार की जरूरत हो सकती है । जब तक हम यह स्वीकार नहीं करते है कि हम गलत हो सकते है, हम हमारे भीतर सुधार नहीं ला सकते।

सुधार हमें अच्छा इंसान बनने में मदद करता है।

अपने आप को सही साबित करना आवश्यक है, लेकिन हम इसे इसका गलत पक्ष नहीं होना चाहिए। यहां वास्तव में सही या गलत कुछ भी नहीं है, यह हम क्या अनुभव लेते है उसके बारे में है । कई बार आपके लिए सही दूसरों के लिए गलत हो सकता है। इसके विपरीत भी सच हो सकता है।

यह समझना जरूरी है कि अगर हम सिर्फ सही साबित करने की कोशिश नहीं करे, तो हम बेहतर होने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं । हम सर्वोत्तम परिणाम लेकर आ सकते हैं।

हमें परवाह नहीं करनी चाहिए अगर हमे सराहा गया है या नहीं, संमानित किया गया या नहीं, सही है या नहीं लेकिन हमे बेहतर रहने के लिए काम करने के बारे में सबसे अधिक परवाह करनी चाहिए।

तो, चलो अपने आप को सही साबित करने नहीं बल्कि जीवन में बेहतर चीजों के लिए काम करने के हेतु मेहनत करे। हमारे रवैये से समाज को अच्छा बनाने में मदद मिलेगी।

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